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भोपाल,
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। जिस प्रकार अमेरिका में रहने वाला अमेरिकी, जर्मनी में रहने वाला जर्मन कहलाता है, वैसे ही हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति पहले हिंदू हैं। इसके लिए किसी के मन में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
इंदौर के चिमनबाग मैदान में महाविद्यालयों के विद्यार्थियों और शिक्षकों के कार्यक्रम ‘शंखनाद’ में बोलते हुए भागवत ने कहा, भारत हिंदू राष्ट्र है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि देश दूसरे धर्म वालों का नहीं है। जो भारतीय हैं, जिनके पूर्वज इस भूमि के हैं, सब हिंदू ही कहलाएंगे, इसलिए इसे हिंदुत्व कहा जाता है, हिंदूज्म नहीं।
उन्होंने कहा सिंधु नदी के पार और हिमालय के आगे का पूरा भू-भाग ही हिंदुस्तान है। उन्होंने कहा, भारतीय परंपरा को आगे ले जाने में युवाओ को अपनी भूमिका का निर्वाहन करना हैं। भागवत ने कहा आरएसएस के उद्देश्य कभी भी लोकप्रिय और प्रभावी बनना नही है, बल्कि समाज को एकजुट करना हैं। आरएसएस प्रमुख ने कहा समाज ही सरकारे बनाता हैं। समाज जितना विकास करेगा, सरकारे भी उतना ही विकास कर पायेगी।
भागवत ने कहा कि किसी भी डंडे की जोर पर परिवर्तन नहीं हो सकता। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए आचरण, विचार, दृष्टि में बदलाव लाना होगा। हम उस दिशा में तेजी से बढ़ भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूरोप से हमें इस मामले में सीखना चाहिए। जिस प्रकार वहां किसी ध्येय की प्राप्ति के लिए विपरीत विचारधारा के लोग एकजुट होकर कार्य करते हैं।