पटना,
बिहार में बीजेपी और जदयू के मिल जाने से सभी पार्टियों का सियासी संतुलन बिगड़ गया है। एक तरफ नीतीश के तीर से लालू यादव तो जख्मी हुए ही हैं। कांग्रेस भी अपनी अंदरूनी घाव से कराह रही है। जिसका इलाज पार्टी कई बड़े फैसलों के साथ निकाल सकती है।
दरअसल, महागठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस में भी टूट के संकेत मिलने लगे। जिसे लेकर बिहार कांग्रेस भी जदयू की तरह दो फांड़ हो गई है। एक तरफ प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, जिनपर दुसरा गुट पार्टी विधायकों को तोड़ने का आरोप लगा रहा है। वहीं चौधरी का कहना है कि इसी टूट की कहानी की आड़ में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के लोग मुझे हटाने की साजिश रच रहे हैं। चौधरी ने छलकती आंखों के साथ कहा कि मेरा पूरा परिवार कांग्रेसी है। मेरे ऊपर लगे आरोप बेबुनियाद हैं।
इन सारे विवादों पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने सभी विधायकों को गुरुवार को दिल्ली बुलाया था। जिसमें अशोक चौधरी समेत कुछ नेता नहीं आए। इस बैठक के दौरान विधायकों ने पार्टी आलाकमान से चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर किसी स्वर्ण नेता को यह जिम्मेवारी सौंपने की अपील की। साथ ही विधायकों ने लालू यादव की पार्टी राजद से गठबंधन तोड़ने की गुजारिश की।
बता दें कि राजद का विरोध करने वाले विधायकों की संख्या करीब 10 है। इन विधायकों में कोई नीतीश का करीबी है। तो किसी को चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे के समय जदयू से टिकट न देकर कांग्रेस से खड़ा किया गया। अब ऐसे में कांग्रेस आलाकमान को पता है कि अगर इन विधायकों के साथ-साथ और भी कई विधायकों को रोकना है। तो बिहार कांग्रेस में बदलाव करना ही पड़ेगा। हालांकि लालू से नाता तोड़ने के मामले में कांग्रेस बहुत ही सोच-विचार कर फैसला लेगी।