लखनऊ,
आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के एक रिपोर्ट के मुताबिक ताजमहल मंदिर नहीं, बल्कि मकबरा है। ताजमहल को संरक्षित रखने से जुड़े 1920 के एक नोटिफिकेशन के आधार पर अदालत में हलफनामा पेश किया गया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, गृह सचिव और एएसआई से जवाब तलब किया था। एएसआई ने गुरुवार को अदालत में अपना जवाब सौंपा है। जिसमें एएसआई ने एक बार फिर मामले की सुनवाई को लेकर स्थानीय अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है।
एएसआई ने याचिकाकर्ताओं के दावे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि ताजमहल एक इस्लामिक ढांचा है, जबकि अपील करने वाले दूसरे धर्म के हैं। स्मारक पर कोई भी धार्मिक गतिविधि पहले कभी नहीं हुई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जवाब दाखिल करने के लिए वक्त दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।
बता दें कि अप्रैल 2015 में आगरा जिला अदालत में छह वकीलों ने एक याचिका दाखिल की थी। जिसमें कहा गया है कि ताजमहल एक शिव मंदिर था और इसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था। इस याचिका के जरिए हिंदू दर्शनार्थियों को परिसर के अंदर पूजा की इजाजत देने की मांग की गई थी। हालांकि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर 2015 में लोकसभा में कहा था कि ताजमहल की जगह पर मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं।