कैशलेस भुगतान को मिल रहा बढ़ावा लेकिन बैंकों को सालाना 3800 करोड़ का घाटा

नई दिल्ली,  

मोदी सरकार का कैशलेस अभियान बैंको के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक, एसबीआई की ओर से जारी एक रिपेार्ट में बताया गया है कि डिजिटल भुगतान से बैंकों को सालाना 3800 करोड़ रुपये का का घाटा हो रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद से बैंक लगातार कैशलेस लेनदेन के लिए प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल्स और मशीनों की खरीददारी हुई है। मार्च 2016 में बैंकों ने 13.8 लाख पीओएस टर्मिनल्स लगाए थे। नोटबंदी के बाद इनकी संख्या लगातार बढ़ी है और जुलाई, 2017 तक 28.4 पीओएस टर्मिनल्स लगाए गए हैं। यानी बैंक औसतन 5000 पीओएस टर्मिनल्स हर दिन लगा रहे हैं। प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) का इस्तेमाल डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान के लिए किया जाता है।

पीओएस बनाम एटीएम शीषर्क वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने पीओएस इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और बैंकों ने भी काफी पीओएस मशीनें लगाई हैं। लेकिन दीर्घावधि की बात की जाए तो उदेश्य तभी पूरा होगा जब पीओएस से होने वाले लेनदेन एटीएम को पीछे छोड़ देंगे जो कि वर्तमान स्थिति में थोड़ मुश्किल लग रहा है।

हालांकि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे मोदी सरकार के डिजिटल पेमेंट के अभियान को जरूर बढ़ावा मिला है। नोटबंदी के बाद से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के ट्रांजैक्शन में बढ़ोत्तरी हुई है.। अक्टूबर, 2016 में जहां 51,900 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन हुए। वही जुलाई 2017 तक 68,500 करोड़ के स्तर पर पहुंच गए हैं। इसके अलावा दिसंबर 2016 में सबसे ज्यादा 89,200 करोड़ रुपये के कैशलेस ट्रांजैक्शन हुए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *