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राहुल ने राजनीति में वंशवाद को ठहराया सही, स्मृति ने कहा- लोकतंत्र में मैरिट की है जगह

नई दिल्ली, 

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बर्कले यूनिवर्सिटी में दिए भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी विदेश जाकर बोल रहे हैं कि भारत परिवारवाद से ही चलता है तो शायद वह भूल गए कि देश में कई ऐसे नागरिक हैं जो कई क्षेत्रों में योगदान देते हैं लेकिन उनकी कोई राजनीतिक विरासत नहीं है।

स्मृति ने कहा कि कहा कि पीएम मोदी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी गरीब परिवार से आते हैं। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी किसान परिवार से आते हैं और संघर्ष के बाद यहां तक पहुंचे। इन तीन सर्वोच्च पदों पर इन व्यक्तियों का होना बताता है कि लोकतंत्र में परिवारवाद नहीं बल्कि मैरिट की जगह होती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक नाकाम वंशवादी राहुल गांधी आज सवाल उठा रहे हैं। राहुल ने वंशवाद को सही बताया।

राहुल ने जीएसटी पर मोदी सरकार की आलोचना की थी। इसपर स्मृति ने यह कहा कि राहुल गांधी सक्षम होते तो कांग्रेस में ही जीएसटी पास हो जाता। पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसना राहुल गांधी की पुरानी आदत है। यह उनकी नाकाम रणनीति है। वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी राजनीतिक पीड़ा व्यक्त कर रहे थे।

स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी भूल गए कि 2014 में वोटर ने वोट के माध्यम से नरेंद्र मोदी में अपना विश्वास व्यक्त किया। स्मृति ने कहा, राहुल द्वारा 2012 में कांग्रेस के अहंकार की बात कहना बहुत बड़ा कन्फेशन है। इसके जरिए वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी सवाल उठा रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है।

स्मृति ने कहा कि आज अगर राहुल गांधी की सही सफलता और विफलता का मापदंड देखना चाहते हैं तो अमेठी जाकर देखना चाहिए। भारत को सुनहरा भविष्य देने पर चर्चा न कर अमेठी के विकास पर चर्चा करते तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाता।

बता दें कि दो हफ्ते के लिए अमेरिका गए राहुल गांधी ने कैलिफोर्निया के बर्कले यूनिवर्सिटी में मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है। हिंसा में मैंने अपने पिता और दादी को खोया है। नोटबंदी को लेकर राहुल ने कहा कि संसद को अंधेरे में इतना बड़ा फैसला ले लिया गया। जिससे अर्थव्यवस्था गिर गई है। राहुल ने वंशवाद पर कहा था कि हमारा देश परिवारवाद से ही चलता है। उन्होंने बताया कि 2012 में कांग्रेस पार्टी के अंदर अहंकार भर गया था और पार्टी ने जनता से संवाद कम कर दिया, जिसके चलते जनता से दूरी बन गई।

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